Friday, 21 August 2015

तुम

इन दूरियों  में तुम्हारा  ही एहसास याद आता है।
पलकों के नीचे सपने सजा ये  बैठे है।
आँख बंद करूँ तो  तुम ही तुम नज़र आते हो।
आखिर इतना तुम क्यों तड़प पाते हो ?


आँख खुली तो पता चला के तुम ख्यालों में बस्ते हो।
तुम्हारा साथ ही  तो चाहिए जीने के लिए।
तुम, तुम्हारी बाँहें  साथ हो मेरे।
तो हम तैयार है मौत  अपनाने के लिए।

No comments:

Post a Comment