Friday 21 August 2015

निराशा के बादलों  के बीच में आशा की एक किरण नज़र आती है।
कांटेदार शाखाओं की शीर्ष पर सुन्दर गुलाब खिलता है। 
काली काली रातों में चाँद अकेले ही चमकता है। 
चाहे दुनिया वाले  हो जाते खिलाफ  तुम्हारे ,
डरने की क्या है ज़रुरत विक्रम विजयी अकेले उठता है। 

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